लेखनी कहानी -17-Oct-2022... ये कैसी विदाई..!!
अरे गिरिराज जी..... आइये... आइये.... मैं कबसे आपका ही इंतजार कर रहा था...। नमस्ते भाभी जी...।
नमस्ते सुशील भाईसाब....आप इनसे बातें किजिए मैं भाभी जी मिल लेतीं हूँ....।
जी..... जी...।
ओर बता सुशील.... सब कुछ अच्छे से हो गया ना...!
बस आप की मेहरबानी से सब ठीक हो गया...। एक बार बिटिया की शादी अच्छे से हो जाए....। वो अपने ससुराल चलीं जाए... उसके बाद आपके हर अहसान का हिसाब कर दूंगा.... बस तब तक ये बात हमारे बीच ही रखना...।
अरे... उसकी फिक्र मत कर.... बात मेरे पेट से बाहर नहीं जाएगी.... बस तु अपनी जुबान से मुकर मत जाना...।
बिल्कुल नहीं .... मैं ऐसा कभी नहीं करुंगा...। आइये आप भी अंदर आइये.... बिटिया को आशीर्वाद दिजिए...।
गिरिराज भी वहाँ चल रहें भव्य शादी समारोह में शामिल हो गया...। आखिरकार आज बरसों बाद एक बाप का सपना जो पूरा हो रहा था...। अपनी जीवन भर की कमाई आज एक बाप ने इस समारोह पर खर्च कर दी थी...। सिर्फ इसलिए की उसकी बेटी अपने आने वाले भविष्य में अपने सपने अपने नए घर में.... नए लोगों के साथ पूरे कर सकें...।
सुशील आज उस मुकाम पर खड़ा था.... जहाँ हर बाप ऊपर से बहुत खुश होता हैं पर भीतर से वो बहुत अकेला और टुटा हुआ होता हैं...। अपने जीगर के टुकड़े को वो आज खुद से दूर भेज रहा था...। लेकिन यह तो सदियों से चलीं आ रहीं रीत थीं.... बेटी को एक ना एक दिन बाप से विदा लेनी ही पड़तीं हैं...। लेकिन इस विदाई में सुशील ने अपना सब कुछ खो दिया था...। एक मध्यम वर्गीय परिवार... सीमित आय... सीमित बैंक बैलेंस.... वाले घर की बेटी की शादी एक बहुत बड़े घराने से होने जा रही थीं...।
ओर इस शादी को पूरा करने.... अपनी बेटी के भविष्य का निर्माण करने के लिए सुशील ने अपना सब कुछ दांव पर लगा लिया था...। यहाँ तक की अपना घर भी...। वो घर जहाँ उसकी बेटी का बचपन बिता था... वो घर जहाँ उसने जिंदगी के खट्टे मीठे हर अनुभव को जिया था...।
मरता क्या ना करता.... पहले तो सामने से लड़के वालों ने हाथ मांगा... सिर्फ यह कहकर की हमें बस आपकी बेटी चाहिए... ओर कुछ नहीं... फिर सगाई हुई... फिर शादी की तारीख निकाली गई...। बस यहाँ से एक ऐसा रिवाज शुरू हुआ जो आज उनको इस मुकाम पर ले आया..। तारीख नजदीक आते ही दहेज का रिवाज अचानक से लड़के पक्ष को याद आ गया की इसके बिना तो बेटी की विदाई होतीं ही नहीं हैं...। हर रोज़ नई फरमाईश..धीरे धीरे नौबत घर गिरवी रखने तक आ गई....। बिना अपना भविष्य सोचें एक बाप ने बेटी का भविष्य संवारने के लिए घर गिरवी रख दिया... ओर आज सबके सामने ऐसे बर्ताव कर रहा था जैसे उससे ज्यादा खुशी किसी को ना हो...।
सबकी आव भगत करते करते... संभाल करते करते सुशील खाने पीने की व्यवस्था का मुआयना करने गया की किसी को कोई परेशानी या कमी ना हो...।
वहाँ पहुंचते ही सुशील ने जो नजारा देखा.... उसकी आंखों में दबे हुवे आंसू बेबस ही छलक पड़े...।
हर खाने की प्लेट में आधे से ज्यादा खाना बचाया हुआ.. लोग ऐसे ही डस्टबिन में उड़ेल रहे थे..।
एक बाप ने अपना सब कुछ बेचकर इंतजाम किया और उसकी ऐसी दुर्गति देख अनायास ही सुशील सह नहीं सका...। लेकिन ये उसकी मजबूरी ही थीं की वो उस वक्त कुछ कह नहीं पाया... ओर चुपचाप वहाँ से वापस लौटकर फिर से सबकी आवभगत में लग गया...।
हमारे देश में होने वाली लगभग हर शादी.. ब्याह में यह नजारा होता ही हैं...। इसमें कोई अचरज की या हैरानी की बात नहीं हैं... लेकिन क्या ये सब सही हैं... एक बार विचार करके जरूर देखिएगा...।
खैर सब कुछ अच्छे से संपन्न हुआ और बेटी की विदाई हुई...। वो अपने सपनों के साथ नए घर चल दी...।
लेकिन उस दिन सिर्फ बेटी ही नहीं सुशील ने दूसरी भी विदाई की थीं... अपने आशियाने की...।
सिर्फ सदियों से चले आ रहें एक रिवाज को पूरा करने के लिए... ।
आखिर कब तक ये दहेज रुपी रिवाज ऐसे ही सुशील जैसे लोगो को निगलता रहेगा.... कब तक...!!!
ये था हमारे देश में चला आ रहा एक रिवाज.... दहेज़ प्रथा...।
ऐसे ओर भी रीति रिवाजों के साथ कल फिर मिलूंगी...।
Renu
19-Oct-2022 02:32 PM
👍👍🌺
Reply
Diya Jethwani
18-Oct-2022 11:50 PM
Thank you all.. 🥰
Reply
Palak chopra
18-Oct-2022 11:44 PM
Achha likha hai 💐🙏
Reply